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एक इन्सान ने नया घर खरीदा और आंगन में पौधे लगाने की इच्छा हुई और वह नर्सरी से पौधे ले आया, नर्सरी वाले माली ने कहा जमीन को खोद कर पौधा लगा देना और रोज़ पानी देना है, पौधा जल्दी बड़ा भी होगा फूल फल भी जल्दी लगने लगेंगे. रास्ते में इसने आते हुए देखा एक महिला पौधों की पत्तियों पर पानी का छिड़काव कर रही थी, तो इसने यह देख कर समझ लिया पौधों को पानी कैसे देना है l
घर आ कर इसने , आंगन पर जमीन में खुदाई कर के पौधे लगा दिए और पानी पौधों की पत्तियों पर ही छिड़काव करता रहा और पौधों की जड़ के लिए डाला ही नहीं, परिणाम स्वरुप पौधे सूख गए, तब यह इंसान उसी महिला के घर के बाहर खड़ा हो कर देख रहा था, उस महिला के बगीचे में पौधे हरे भरे थे, फिर इसने देखा वह महिला आई और पौधों के तने के इर्द गिर्द भी पानी डाला और फिर पौधों की पत्तियों पर भी छिड़काव कर रही थी, तब यह इंसान महिला के पास गया और पूछने लगा आप पौधों के तने के इर्द गिर्द भी पर पानी भी डाल रही तो इसका क्या मतलब है?
महिला ने कहा तने के पास पानी डालने से यह पानी जमीन से हो कर पौधों की जड़ों तक जाता है और जड़ों को पानी मिलने से पौधा हरा भरा रहता है, तब यह इंसान अपनी गलती को समझ गया, नर्सरी से और पौधे ले कर आया और उन्हें दोनों प्रकार से पानी देने लगा और अब इसके पौधे भी बढ़ने लगेl पौधों को पानी कैसे देना यह ठीक से समझा ही नहीं, और देख कर नक़ल करने से भी अधूरी जानकारी मिलती, कोई भी काम करना है, उसे अच्छे से समझ कर ही करो, एक या दो बार सुन लेने से या देख कर नक़ल करने से भी नुक्सान ही हो जाता हैl ज्यादा बार करने सीखने और पढ़ने को मन करता नहीं बोर लगता है l
इस कहानी से और एक सीख मिलती है वह यह है , यदि पौधे की जड़ों में पानी न डाला जाए तो वह जीवित नहीं रह पाएगा, केवल पत्तियों पर पानी छिड़कने से वह विकसित नहीं होगा और फूल नहीं देगा। संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख हितधारकों सहित वैश्विक समुदाय दैनिक सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाकर वही काम कर रहे हैं, ऐसा करके वे सिर्फ पौधे की पत्तियों पर पानी छिड़क रहे हैं। जड़ में पानी नहीं जा रहा,मूल जड़ का उपचार नहीं कर रहे l
लोग प्रोग्राम और अभियान में शामिल होते, प्रंशंसा करते, तालियां बजाते सही बात को समझ भी लेते, वह समझ ऊपरी बुद्धिमत्ता पर ही रह जाती है और आंतरिक बुद्धिमत्ता पर जाती नहीं है, इसी वजह से सही बात को अमली जामा पहना नहीं पाते, और अपनी पुरानी मानसिकता के आधार पर करते अपने मन की हैं और परिणाम स्वरुप रोजाना आकस्मिक आत्महत्यायें बढ़ती ही जा रही हैं l मूल कारण का उपचार करने के लिए ज्ञान को आंतरिक बुद्धिमत्ता तक पहुँचाना है , आंतरिक बुद्धिमत्ता को शक्तिशाली बनाना है, और उसके लिए मन की मनमानी की जगह मन की बागवानी करना जरुरी है l
मदर इंडिया केयर दुनिआ की पहली सामाजिक संस्था है जिसने ज्ञान को आंतरिक बुद्धिमत्ता तक ले जाने का अभियान चलाया है l सही बात को तुरंत अमली जामा पहनाने के लिए देश भर में अमल भारत आंदोलन भी चलाया हैl
इसी तरह ही लोग जब नया काम सीखते हैं तो सीख को ऊपरी बुद्धिमत्ता तक ही सीमित रखते हैं और आंतरिक बुद्धिमत्ता तक ले कर नहीं जाते परिणाम स्वरूप वे नया काम ठीक से नहीं कर पाते और जीवन भर संघर्ष ही करते रहते हैं l नयी सीख को आंतरिक बुद्धिमत्ता तक ले जाने के लिए भी समय लगता है परिश्रम करना पड़ता है l परिश्रम से लोग कतराते हैं आसानी से ही सब कुछ मिल जाए और आराम में पड़े रहे, टेक्नॉलजी की वज़ह से इंसान बहुत ज्यादा आरामपरस्त हो गया है l आसान का चयन करने से मनमर्जी की पूर्ती हो जाती है परन्तु यही मनमर्जी की पूर्ती बड़ी समस्या बन कर सामने खड़ी हो जाती है और असल में यह बड़ी समस्या खुद की मर्जी की पूर्ती से ही बनी होती है l
मुश्किल का चयन करो तो वह आराम ले कर आएगा और आसान का चयन करो तो वह मुश्किल ले कर आएगा. संघर्ष से शक्ति पैदा होती है और आराम से कमजोरी पैदा होती हैl पत्तियों पर पानी डालने से पौधा फलीभूत नहीं होता, उसके लिए पानी को पौधों की जड़ तक ले जाना होता हैl ज्ञान को ऊपरी बुद्धिमत्ता पर रखने से वह फलीभूत नहीं होता, उसके लिए ज्ञान को आंतरिक बुद्धिमत्ता तक ले जाना होता हैl
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